मकर संक्रांति का पर्व हर साल विशेष महत्व रखता है और यह खासतौर पर सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश करने के समय मनाया जाता है। इस दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है, और साथ ही यह समय गंगा स्नान और दान-पुण्य के लिए भी उपयुक्त माना जाता है।
पंडित केए दुबे के अनुसार, इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी, 2025 को मंगलवार को है और यह पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्रों में आ रही है, जो इसे विशेष और शुभ बनाते हैं। इस दिन स्नान व दान करने का उचित समय सुबह 8:55 बजे से लेकर दोपहर 3:19 बजे तक है। इस समय के दौरान सूर्य का दर्शन करना बहुत फलदायी माना जाता है।
मकर संक्रांति पर खरमास समाप्त होता है और शिशिर ऋतु की शुरुआत होती है, जो प्रकृति के बदलाव का संकेत है। इसके साथ ही इस दिन भगवान सूर्य के प्रति आस्था और श्रद्धा को प्रदर्शित करने का खास अवसर होता है। इसके अलावा, भागीरथ के प्रयास से गंगा गंगासागर में मिल चुकी थी, जहां उनके 60,000 पूर्वजों को गंगा स्नान से मुक्ति मिली थी, और इस दिन भी भीष्म पीतामह ने अपने शरीर का त्याग किया था।
दान के मामले में राशियों के अनुसार विशेष वस्तुएं दान करना लाभकारी होता है। उदाहरण के लिए:
- मेष राशि के लोग 14 काले तिल के लड्डू, खिचड़ी, घी और ऊनी वस्त्र दान करें।
- वृष राशि के लोग 14 श्वेत तिल के लड्डू, दूध की मिठाई, फल और वस्त्र दान करें।
- कर्क राशि के लोग 14 काले तिल के लड्डू और 14 किलो खिचड़ी दान करें।
- सिंह राशि वाले 14 काले तिल के लड्डू, घृत, वस्त्र, और छाता दान करें।
- तुला राशि के लोग 14 काले तिल के लड्डू, खिचड़ी और 14 वस्त्र दान करें, इत्यादि।
इस दिन विशेष रूप से सूर्य देवता को खिचड़ी अर्पित करना और उनके प्रति आभार व्यक्त करना एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया मानी जाती है।

