राजन पटेल, विशेष संवाददाता, परतावल/महराजगंज। बेसिक शिक्षा में सुधार की लाख कोशिशों के बीच एक ऐसा मामला सामने आया है, जो इस व्यवस्था की असल हालत को नंगा कर देता है। कम्पोजिट विद्यालय पिपरा खादर में तैनात खुशबूद्दीन नामक शिक्षक पर आरोप है कि वह फर्जी अंकपत्रों के सहारे वर्ष 2016 से नौकरी कर रहा है। बात यहीं तक सीमित नहीं है। गांव वालों का दावा है कि खुशबूद्दीन वर्षों तक सऊदी अरब में रहकर कमाई करते रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि जब व्यक्ति विदेश में रह रहा था, तो भारत में उसकी डिग्री कब बनी और कब जमा हुई? यह मामला केवल एक शिक्षक का नहीं, बल्कि उन जिम्मेदारों का भी है जिन्होंने ऐसे दस्तावेजों पर नियुक्ति दी। इस गंभीर प्रकरण को समाजसेवी अजय द्विवेदी ने जिलाधिकारी के संज्ञान में लाते हुए जांच की मांग की है। उनका कहना है कि शिक्षा विभाग में कुछ लोगों की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा आज तक फल-फूल रहा है।पूर्व में जनपद में दर्जनों शिक्षकों की सेवाएं इस तरह के मामलों में समाप्त की जा चुकी हैं, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से यह मामला आज भी ठंडे बस्ते में है। सवाल यह है कि आखिर किसकी छत्रछाया में यह सब संभव हो रहा है?यदि अब भी कार्यवाही नहीं हुई, तो यह केवल एक शिक्षक की ग़लती नहीं मानी जाएगी, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की साख पर गहरा आघात होगा।