महराजगंज। जनपद महराजगंज में इन दिनों यूरिया की भारी किल्लत किसानों के लिए बड़ी समस्या बन गई है। खरीफ सीजन में धान की रोपाई के बाद उर्वरक की सबसे अधिक आवश्यकता होती है, लेकिन जिले के सरकारी गोदामों और सहकारी समितियों पर यूरिया गायब है। इससे किसानों में हताशा और गुस्सा दोनों देखने को मिल रहा है।ग्रामीण अंचलों से लेकर ब्लॉक मुख्यालयों तक किसान यूरिया के लिए लाइन लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। कहीं-कहीं तो यूरिया की काला बाजारी जोरों पर है, जहां 266 रुपये में मिलने वाली बोरी 400 से 500 रुपये तक बेची जा रही है। गरीब और सीमांत किसान इस महंगाई से बुरी तरह पिस रहे हैं।
प्रशासनिक दावों की खुली पोल
प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा लगातार दावा किया जा रहा है कि जिले में पर्याप्त मात्रा में यूरिया उपलब्ध है और किसानों को समय पर खाद मुहैया कराई जा रही है। लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। जिला कृषि अधिकारी से लेकर आपूर्ति विभाग के अफसर सिर्फ कागज़ों में उपलब्धता दिखाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं।
किसानों का आरोप
किसानों का कहना है कि सरकारी समितियों पर बड़े किसानों और दलालों की मिलीभगत से खाद का वितरण किया जा रहा है, जिससे जरूरतमंद किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है। कई जगहों पर किसानों ने विरोध प्रदर्शन भी किया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।**अधिकारियों से मांग**किसानों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि यूरिया की आपूर्ति में पारदर्शिता लाई जाए, काला बाजारी पर सख्त कार्रवाई हो, और समितियों पर नियमित निगरानी रखी जाए। अगर जल्द ही समस्या का समाधान नहीं हुआ तो किसान आंदोलन का रास्ता अपना सकते हैं। यूरिया की किल्लत एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिससे खेती पर सीधा असर पड़ रहा है। यदि प्रशासन ने समय रहते कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया तो आने वाले दिनों में फसल उत्पादन पर भी बुरा असर पड़ सकता है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति और भी खराब हो सकती है।

