परतावल/महराजगंज। शनिवार को परतावल विकास खंड कार्यालय में उस समय हड़कंप मच गया, जब बिजली विभाग ने लंबे समय से लंबित बिल भुगतान न होने पर बिजली आपूर्ति ठप कर दी। जानकारी के अनुसार, विकास खंड कार्यालय पर ₹3.5 लाख से अधिक की बकाया राशि है, जिसे लेकर विभाग ने कई बार नोटिस भी जारी किया था। भुगतान न होने पर अंततः कार्रवाई करते हुए बिजली काट दी गई।बिजली कटते ही कार्यालय में कामकाज प्रभावित होने लगा और अफरा-तफरी का माहौल बन गया। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि बिजली आपूर्ति काटे जाने के महज एक घंटे के भीतर ही उसे फिर से बहाल कर दिया गया। दरअसल, उसी दिन खाद्य एवं रसद विभाग के विशेष सचिव अतुल सिंह का निरीक्षण प्रस्तावित था, जिसके चलते अधिकारियों ने बिजली बहाल करने की त्वरित पहल की।इस पूरे घटनाक्रम ने विभागीय व्यवस्था और प्रशासनिक जवाबदेही पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर नियमित भुगतान न होने की स्थिति में कार्रवाई को जायज ठहराया जा सकता है, वहीं दौरे से पहले की गई तत्काल बहाली यह दिखाती है कि प्रशासनिक दबाव में प्राथमिकताएं बदल जाती हैं।उपखंड अधिकारी विजय जायसवाल ने बताया कि, “बिजली विभाग ने कई बार बिल भुगतान के लिए नोटिस दिया, लेकिन लगातार अनदेखी के कारण यह कदम उठाना पड़ा। विभाग के पास कार्रवाई के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।”यह घटना साफ तौर पर दर्शाती है कि जब तक उच्चाधिकारियों का दौरा न हो, तब तक व्यवस्था में सुधार की गंभीर कोशिश नहीं होती। सवाल यह भी है कि क्या ऐसी अस्थायी व्यवस्थाएं स्थायी समाधान बन सकती हैं, या फिर यह केवल ‘दिखावे’ की प्रक्रिया बनकर रह जाती हैं?