महराजगंज/परतावल (विशेष संवाददाता):
नगर पंचायत परतावल में विकास कार्यों की तस्वीर जितनी चमकदार कागज़ों पर नजर आती है, हकीकत में उतनी ही धुंधली और गंदी है। जनता के टैक्स के पैसे से बनाई गई सुविधाएं या तो गायब हैं, या फिर निजी स्वार्थ के चलते आम जनता की पहुंच से दूर कर दी गई हैं। सड़कों से पौधे गायब हैं, बैठने की सीटें निजी घरों में लग चुकी हैं, और कूड़ेदान के नाम पर सिर्फ स्टैंड खड़े हैं – पर डब्बे नदारद हैं।

हरियाली की योजना में हरियाली ही गायब
नगर पंचायत द्वारा सड़क किनारे गमले तो लगाए गए, लेकिन उनमें हरियाली कहीं नजर नहीं आती। पौधे गायब हैं। ये पौधे क्या सूख गए, चोरी हो गए या कभी लगाए ही नहीं गए? यह बड़ा सवाल बन गया है। हज़ारों रुपए के पौधे अगर हवा हो गए हैं, तो जिम्मेदार कौन है?

सार्वजनिक सीटें बनीं निजी संपत्ति
शहर की जनता के लिए लगाई गई सीमेंट की सीटें भी अब शहर में कम, और कुछ लोगों के घरों के बाहर ज़्यादा दिखाई देती हैं। कई सार्वजनिक स्थानों पर जहां बैठने की ज़रूरत है, वहां सीटें नदारद हैं। यह साफ इशारा करता है कि नगर पंचायत के अधिकारी मनमानी और मिलीभगत से जनता की सुविधा पर डाका डाल रहे हैं।

कूड़ेदान के नाम पर स्टैंड-अप कॉमेडी?
नगर पंचायत की ओर से सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जगह-जगह कूड़ेदान के स्टैंड लगाए गए, पर उनमें डब्बे ही नहीं हैं। यह नजारा अब शहरवासियों के लिए मज़ाक बन चुका है – स्टैंड हैं, लेकिन काम के नहीं। क्या अधिकारी यह बताने को तैयार हैं कि ये डब्बे कहां गए?
जनता का दर्द, प्रशासन की बेरुख़ी
टूटी-फूटी सड़कों, जाम पड़ी नालियों और लापता सुविधाओं से जूझती परतावल की जनता अब थक चुकी है। जब भी शिकायत की जाती है, अधिकारी या तो टालमटोल करते हैं या फिर चुप्पी साध लेते हैं। ऐसा लगता है जैसे नगर पंचायत परतावल अब ‘जनता के लिए’ नहीं, बल्कि ‘अपने लिए’ काम कर रही है।
क्या कभी होगा न्याय?
सबसे बड़ा सवाल यही है – आखिर कब होगी इस भ्रष्टाचार की जांच? क्या जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी? या फिर परतावल की तस्वीर यूं ही बदहाल बनी रहेगी? जनता अब सिर्फ सवाल नहीं, जवाब चाहती है। कार्रवाई चाहती है।

