परतावल (महराजगंज)। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की पारदर्शिता पर परतावल क्षेत्र में गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। स्थानीय स्तर पर मिली जानकारी के अनुसार, कार्यस्थलों पर मस्टररोल में दर्ज मजदूरों की संख्या और मौके पर मौजूद मजदूरों की वास्तविक संख्या में बड़ा अंतर पाया गया है। कई स्थानों पर आधे से भी कम मजदूर कार्य करते नजर आ रहे हैं।
गंभीर बात यह है कि कुछ जगहों पर वयस्कों के स्थान पर नाबालिग किशोर श्रम करते दिखे हैं, जो योजना की मूल भावना और कानूनी प्रावधानों का सीधा उल्लंघन है। सरकार द्वारा पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु लागू नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (NMMS) के अनुसार एक मस्टररोल पर प्रतिदिन कम से कम 10 मजदूरों की फोटो अपलोड करना अनिवार्य है, लेकिन इसका पालन भी महज औपचारिकता बनकर रह गया है।सूत्रों के अनुसार, रोजगार सेवक और महिला मेट द्वारा मात्र 40 मजदूरों को अलग-अलग तरीकों से कई मस्टररोल में दिखाया जा रहा है। कभी किसी को आगे, किसी को पीछे खड़ा कर या कपड़े बदलवाकर अलग-अलग दिन की हाजिरी बनाई जा रही है। इस तरह एक ही मजदूर की उपस्थिति कई बार दर्शाकर शेष मजदूरों के नाम पर भुगतान लिया जा रहा है।बड़हरा बरईपार के धोबहिया पोखरी पर सुंदरीकरण कार्य में 84 मजदूरों का मस्टररोल निकाला गया है, लेकिन प्रतिदिन मौके पर केवल 25 के आसपास मजदूर काम करते देखे जा रहे हैं। वहीं कुसुम्हा गांव में पचपोखरी की खुदाई कार्य के लिए 150 मजदूरों की हाजिरी दर्शाई गई, जबकि शुक्रवार को मौके पर केवल 50 मजदूर ही कार्यरत पाए गए, जिनमें तीन नाबालिग भी शामिल थे।इस पूरे मामले ने मनरेगा योजना के क्रियान्वयन पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अब देखना यह है कि जिम्मेदार अधिकारी इन शिकायतों की जांच कर दोषियों पर क्या कार्रवाई करते हैं।