Tue. May 13th, 2025

शतचंडी महायज्ञ में दीप यज्ञ का किया गया आयोजन

महराजगंज। भिटौली थाना अंतर्गत भिटौली बाजार में दुर्गा मंदिर पर शतचंडी महायज्ञ में आचार्य पंडित प्रभात शास्त्री ने अपने सहयोगी श्री प्रकाश पांडेय, दीपक शुक्ला, शशांक शास्त्री, तथा वेद मिश्र ने अपने मुख्य यजमान सहित सैकड़ों की संख्या में शाम के समय दीप यज्ञ का आयोजन वैदिक मंत्रों से संपन्न कराया ।आचार्य जी ने बताया कि “अज्ञान के अंधकार को दूर करने के लिए ज्ञान के दीपक प्रज्जावलित करना होता है। दीपक ज्ञान का प्रतीक है। जब हम अपने अंतर्मन में ज्ञान के दीप प्रज्जावलित करते हैं तो हमारा घर, मन और आंगन आलोकित होता है। संसार और जीवन की सार्थकता इसी में है कि हम अपने घर मन और आंगन को सतत आलोकित रखें। “सनातन धर्म मे यज्ञ का बहुत अधिक महत्व है : जब हम अग्नि प्रज्वलित करके उसमें आहुतियां प्रदान करते हैं, वही यज्ञ कहलाता है !
सबसे पहले अग्निदेव का आह्वाहन किया जाता है, दो आरंडियों को घर्षण करके अग्नि प्रज्वलित की जाती है , फिर उसको नारियल के केश व रुई के साथ बढ़ाया जाता है और फिर हवन कुंड में स्थापित करते हैं, यह तो हुई अग्नि स्थापना !
उसके बाद जिस भी यज्ञ की भावना से आहुतियां दी जाती हैं, वह भिन्न भिन्न होते हैं !पुराने समय से हमारे ऋषि मुनियों ने यह परंपरा स्थापित की, घने जंगल मे बैठकर साधना करते हुए यज्ञ में मंत्रोच्चार के साथ आहुतियां प्रदान करना आवश्यक था !
यज्ञ हमारी प्रतिदिन की पूजा में शामिल होना चाहिए : जिस कामना को लेकर यज्ञ करते हैं वह बड़े स्तर का होता है जैसे राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि महायज्ञ किया – जो वरदान उन्हें कहीं से नही प्राप्त हुआ वह यज्ञ के फलस्वरूप मिला और उनके घर मे स्वयम नारायण ने बालक रूप में जन्म लिया !
अर्थ यह है कि जब कामना को लेकर यज्ञ किया जाता है तो वह वैसा ही फल देता है परंतु नित्य प्रति कोई भी जाप, चाहे महामृत्युंजय का हो, गायत्री जाप हो, या अन्य – वह आपकी साधना , अनुष्ठान को पूर्ण करने का माध्यम है !
दीपावली से पूर्व हम लोग माता लक्ष्मी और बुद्धिदाता गणपति की विशेष आराधना करते हैं और गुरुदेव विशाल स्तर का 108 कुंडीय यज्ञ भी आयोजित करते हैं, जिनमे लाभ अवश्य लेना चाहिए !आपका घर धन, धान्य ,सुख, सम्रद्धि से भरपूर हो जाता है।

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