राजन पटेल,संपादकीय। महाकुंभ जो हर 12 वर्षों में आयोजित किया जाता है, इस बार एक नए और आधुनिक रूप में सामने आया है। इस आयोजन ने न केवल सनातन धर्म की परंपराओं को जीवित रखा है, बल्कि इसने एक नए युग की शुरुआत भी की है।महाकुंभ का भव्य और डिजिटल आयोजन सनातन धर्म की परिभाषा को बदल रहा है।
यह आयोजन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक है, बल्कि यह एक नए और आधुनिक भारत की ओर बढ़ने का प्रतीक भी है।महाकुंभ में शामिल होने वाले लाखों श्रद्धालुओं ने इस आयोजन को एक नए और अनोखे तरीके से अनुभव किया है। इस आयोजन में डिजिटल तकनीक का उपयोग करके श्रद्धालुओं को एक नए और आधुनिक तरीके से जोड़ा गया है। महाकुंभ का यह आयोजन सनातन धर्म की परंपराओं को जीवित रखने के साथ-साथ एक नए और आधुनिक भारत की ओर बढ़ने का प्रतीक भी है। यह आयोजन हमें यह याद दिलाता है कि हमारी परंपराएं और संस्कृति हमारी पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हमें अपने समय के साथ-साथ बदलते रहना चाहिए।
महाकुंभ का यह आयोजन हमें यह सिखाता है कि हमारी परंपराएं और संस्कृति हमारी पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हमें अपने समय के साथ-साथ बदलते रहना चाहिए। यह आयोजन हमें यह याद दिलाता है कि हमारी परंपराएं और संस्कृति हमारी पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हमें अपने समय के साथ-साथ बदलते रहना चाहिए।
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