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बनवास नही होता तो राम के जन्म का प्रयोजन सिद्ध नही होता: सोनम ब्यास

निचलौल। निचलौल कस्बे के महाशय मोहल्ला स्थित चाचा नेहरू चिल्ड्रेन पार्क में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन बुधवार को कथा वाचक सोनम व्यास ने माता सीता के हरण की कथा सुनाई। इस प्रसंग को सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। इस दौरान शिव और पार्वती बने बच्चे पांडाल में आकर्षण का केंद्र बने रहे।
कथा का रसपान कराते हुए सोनम व्यास ने कहा कि भगवान राम, सीता और लक्ष्मण जब वनवास पर गए थे। जंगल में इनकी कुटिया के सामने माता सीता एक सुनहरे मृग को देखकर मोहित हो गई। उस समय माता सीता फुलवारी में पूजा के लिए फूल तोड़ रहीं थीं। मृग को देखने के बाद लक्ष्मण को बुलाई और कहीं कि देखिए यह अद्भुत मृग है। इसके सींग सोने के हैं और इसकी खाल भी स्वर्ण जड़ित हैं।

माता सीता उस मृग को भगवान राम और लक्ष्मण को दिखाते हुए मृग को पकड़ने के लिए अनुरोध करतीं हैं और कहती हैं कि इस मृग को हम लोग अयोध्या ले चलेंगे इसे देखकर माताएं प्रसन्न होंगी और भरत भैया को इस मृग को भेंट में दिया जाएगा। कथा के दौरान उन्होंने कहा कि सीता की बात का जवाब देते हुए भगवान राम ने कहा कि यह मृग अनोखा है। इस पर लक्ष्मण ने अंदेशा जताते हुए कहा कि मृग का रूप प्रकृति के विरुद्ध है यह कहीं राक्षसी शक्तियों द्वारा भेजकर हम लोगों पर संकट पैदा करने की साजिश तो नहीं है। इस पर राम ने जबाव दिया कि इस जीव को भी प्रकृति ने ही बनाया है। यह कोई अनोखा जीव नहीं है। प्रकृति की रचना में भी जीवों की असंख्य प्रजातियां शामिल हैं। दोनों भाइयों ने इसको लेकर जब बहस थम गई तब भगवान राम ने लक्ष्मण से यह कहा कि तुम सीता की देखभाल और सुरक्षा करना, मैं इस अनोखे मृग को पकड़ने जा रहा हूं। यदि यह राक्षसी शक्ति होगा तो इसका अंत भी जरूरी है। भगवान राम ने हिदायत दी कि सीता को अकेली मत छोड़ना। यह कहकर वे जंगल में धनुष बाण लेकर मृग का पीछा करते चले गए। इधर रावण सब कुछ देखकर रहा था और वह साधु का वेश बनाकर भगवान राम की कुटिया के सामने आया और भिक्षा मांगने लगा। माता सीता ने लक्ष्मण द्वारा बनाई गई रेखा का ध्यान न देते हुए भिक्षा देने गई इस बीच रावण उनका हरण कर लिया। कथा के दौरान सोनम व्यास ने कहा कि इसी प्रसंग में माता सती और भगवान शंकर भी जंगल से होकर गुजरते हैं। इस बीच शंकर जी भगवान राम को प्रणाम करते हैं और माता सती जान बूझकर भगवान का प्रणाम नहीं करती हैं। इसके बाद माता सती जानकी का वेश बनाकर भगवान राम के सामने आई तब राम और लक्ष्मण ने उन्हें देखा। भगवान राम ने उनका प्रणाम किया और समझ गए कि वे जानकी नहीं माता सती हैं।
इस मौके पर चेयरमैन शिवनाथ मद्धेशिया, गिरिजेश अग्रवाल, डॉ. गिरीश चंद तिवारी, जितेन्द्र लाल श्रीवास्तव, नवीन चंद्र त्रिपाठी, श्यामबिहारी अग्रवाल, विनोद त्रिपाठी, नरेंद्र मोदनवाल, सुधीर गुप्त आदि मौजूद रहे।

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